नाक के जरिये सिरदर्द का इलाज

नाक के जरिये सिरदर्द का इलाज

माइग्रेन में नाक के जरिये असह्य सिरदर्द के इलाज की बात मजाक लग सकती है मगर आयुर्वेद में यही तरीका अपनाया जाता है। दरअसल आयुर्वेद में नाक को सिर का द्वार माना गया है। सिर से संबंधित किसी भी रोग के इलाज के लिए नाक को ही रास्‍ता बनाया जाता है।

आयुर्वेद का जवाब नहीं

आयुर्वेदाचार्य देवेंद्र त्रिगुणा का कहना है कि इलाज के मामले में आयुर्वेद सभी चिकित्सा पद्धतियों से कहीं आगे हैं। माइग्रेन का भी बेहतरीन इलाज आयुर्वेद में उपलब्ध है। दरअसल, आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का मूल पता कर उसका इलाज किया जाता है। माइग्रेन सिर की बीमारी है और आयुर्वेद में नाक को सिर का द्वार माना गया है। इसलिए माइग्रेन के इलाज के लिए हम नाक के द्वारा मरीज को दवा सुंघाते हैं। इससे मरीज को तत्काल फायदा होता है।

वैद्य त्रिगुणा के अनुसार यह कहना कि आयुर्वेदिक इलाज में रोगी को ठीक होने में समय लगता है महज लोगों का वहम है। साथ ही, आयुर्वेदिक इलाज से लोगों को कभी हानि नहीं होती है। मरीज जिस देश का वासी होता है उस पर वहीं की दवा प्रभावी होती है। एलोपैथी की अधिकांश दवाएं दूसरे देशों द्वारा आविष्कृत हैं इसलिए शरीर पर उनका सकारात्मक असर नहीं होता। फिर भी ‘दवाई वही अच्छी जिससे मरीज अच्छा हो जाए।’

योग में भी है सटीक उपचार

माइग्रेन में अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग आसन, प्राणायाम, मुद्राएं, बंध क्रियाएं आदि की जाती है। मगर महत्वपूर्ण बात यह है कि योग की अपनी एक प्रक्रिया होती है। विदेशी तो छोड़ दें भारत में भी अधिकांश लोग व्यवस्थित तरीके से योग नहीं करते हैं। इसके नतीजे में शरीर के उत्‍तक नष्ट होते हैं। दूसरी बात यह है कि योग देखा-देखी नहीं किया जा सकता। राजस्थानी में एक कहावत है ‘देखा-देखी साजे योग, घटे काया, बढ़े रोग।’

माइग्रेन की बीमारी में शवासन और नाड़ीशोधन के द्वारा आराम मिलता है। शवासन के लिए पीठ के बल लेट जाएं और दोनों खुले हाथों को नितंबों के पास इस प्रकार रखें कि हथेलियां ऊपर की तरफ रहें और दोनों एड़ियों में लगभग एक से डेढ़ फुट का अंतर हो। पांवों के पंजों को खुला रखें। फिर एक-एक अंग को मन की आंख से (आंखें बंद कर) के निहारें। इस आसन में श्वास की क्रिया समान होगी। पूरे शरीर को एकदम ढीला रखें और ध्यान रहे इस अवस्‍था में अपनी सुविधानुसार रहें। 5 से 15 मिनट तक। उसके बाद दोनों हाथों की हथेलियों को आपस में रगड़ें। फिर हथेलियों को बंद आंखों पर रखें। इस क्रिया को तीर बार दुहराएं और फिर आंखों को धीरे-धीरे खोलें।

विशेषः इस आसन को करते समय शरीर को स्थिर रखें। हिलने-डुलने से मांसपेशियां में खिंचवा आ सकता है। वैसे शवासन ही ऐसा आसन है जिसे सभी प्रकार के रोग ग्रस्त व्यक्ति बिना रोक-टोक कर सकते हैं।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।